एक बार विचार करे
1840 के आसपास चीन सबसे अधिक बिकाऊ भारतीय वस्तु अफीम को अपने बाजार से दूर रखना चाहता था क्योंकि इससे ना केवल व्यापार का संतुलन उस समय की तत्कालीन भारतीय सरकार इंग्लैंड के पक्ष में हो जाता और जैसा कि हुआ भी| इससे चीन चीनी सरकार के लिए सामाजिक और नैतिक समस्याएं भी उत्पन्न हो गए | चीन के लोग अफीम के नशा में इतने मगशूल हो गए कि वे अपने अधिकांशतः धन अफीम को खरीदने में लगा देते थे | धीरे-धीरे उनका नैतिक सामाजिक और आर्थिक पतन होने लगा| और अंततः उसी केकारण 1842मेंअफीम युद्ध हुआ जिसमें चीन को काफी नुकसान हुआ |
. . . . . . . वही हाल आज के भारत में हैı आज भारत में चीन की सबसे अ
धिक बिकाऊ वस्तु मोबाइल्स फोन है जिनका भारतीय मोबाइल मार्केट में 97% हिस्सेदारी हैı इससे एक बड़ी मात्रा में रकम चीन जा रही है जिसका प्रयोग भारत के खिलाफ(पाकिस्तान को आर्थिक मदद के रूप में) चीन के द्वारा किया जा रहा है|
. . . . . . . . हो ना हो जिस तरह से चीनी सरकार द्वारा उस समय अफीम को बैन कराने से इंग्लैंड की सरकार द्वारा अफीम युद्ध छिड़ गया| उसी तरह से भविष्य में क्या पता भारत सरकार द्वारा भी ऐसे कदम उठाए जाते हैं तो वही परिणाम हो सकते हैं जो 1842 में हुए, तो हमें अभी से आगाह होना पड़ेगा|
हमें चीनी सामानों के आयात को धीरे-धीरे कम करना होगा न कि चीनी आयात को एकदम एक झटके में बंद नहीं करना चाहिए|
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